द्वंद कहाँ  तक पाला जाए - युद्ध कहाँ  तक टाला जाएँ : वाहिद अली वाहिद की कविता

द्वंद कहाँ तक पाला जाए - युद्ध कहाँ तक टाला जाएँ : वाहिद अली वाहिद की कविता

द्वंद कहाँ  तक पाला जाए - युद्ध कहाँ  तक टाला जाएँ - वाहिद अली वाहिद की कविता
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

तू भी हैं राणा का वंशज
फेक जहाँ तक भाला जाएँ                                                                                                   द्वंद कहाँ तक पाला जाएँ                                                                                                     युद्ध कहाँ तक टाला जायें


तू भी हैं राणा का वंशज
फेक जहाँ तक भाला जाएँ
कब तक बोझ संभाला जाएँ
द्वंद कब तक पाला जाएँ
दूध छीन बच्चों के मुख से
क्यों नागों को पाला जाएँ
दोनों और लिखा हो भारत
सिक्का वही उछाला जाएँ
तू भी हैं राणा का वंशज
फेक जहाँ तक भाला जाएँ
इस बिगड़ैल पडोसी को तो
फिर से शीशे में ढाला जाएँ
तेरे मेरे दिल पर ताला
राम करे ये ताला जाएँ
वाहिद के घर दीप जले तो
मंदिर तक उजाला जाएँ
कब तक बोझा संभाला जाएँ
युद्ध कहाँ तक टाला जाएँ
तू भी हैं राणा का वंशज
फेक जहाँ तक भाला जाएँ

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