आश्चर्य

सोचा नहीं था सावन में पतझड़ आयेगा,
भरी जवानी में हुस्न वालो से नफरत का दोर आयेगा |
इश्क से खालिश हो ऐसा भी वक्त आयेगा,
इल्म नहीं था मेरी नाकामियों का दोर इतना संगीन आयेगा  
क्या प्रतिभा के सूर्य को भी ग्रहण लग जायेगा |
प्रितम न सही क्या मित्रो से भी इंकार आयेगा  
सोचा नहीं था वक्त के समंदर में इतना भयानक ज्वार आयेगा |
क्या अपनों से भी बिछड़ने का दोर आयेगा,
इन यादो को हम से सहा नहीं जायेगा,
अब तेरी जगह कोई और नहीं आयेगा |
क्या ये दोर भी यूही तन्हा गुजर जायेगा,
पता नहीं अब कोन हमसाया साथ आयेगा |
खुदा खुद आयेगा, या ये वक्त सवर जायेगा |

0 Comments: