शायरी की डायरी - दों लाइन शायरी की || तमाशा जिन्दगी का हुआ कलाकार सब अपने निकले - आज के दौर पर, जीवन बदलने वाली शायरी

शायरी की डायरी - दों लाइन शायरी की || तमाशा जिन्दगी का हुआ कलाकार सब अपने निकले - आज के दौर पर, जीवन बदलने वाली शायरी


शायरी की डायरी

एक झूठ, सौ झूठ बुलवायेगा
तुम सच बोलना....
समझने वाला समझ जायेगा

वो मुझे भूल ही गया होगा?
इतनी मुद्दत कोई ख़फ़ा नहीं होता

उसी से पूछ लो उसके इश्क की कीमत
हम तो बस भरोसे पे बिक गए...

इश्क के दरिया मैं हम भी डूब कर देख आये
वो लोग ही समझदार निकले जो किनारे से लोट आये

उसकी याद आई है सांसो जरा आहिस्ता चलो
धड़कनो से भी इबादत मैं खलल पड़ता हैं

सामने जो है उसे लोग बुरा कहते हैं,
जिस को देखा ही नहीं उस को खुदा कहते हैं

खुबसुरती न सूरत मैं है ना लिबास मै
निगाहें जिसे चाहे हसीन कर दे

रूठने वाला रूठता है तो रूठ जाएं
हम मनाने का हुनर भूल चुके हैं

मतलबी जमाना है, नफ़रतों का कहर हैं
दुनिया दिखती शहद हैं, पिलाती जहर हैं

अपने पेरो पर खड़े होकर मरना,
घुटने टेक कर जीने से बेहतर है

किताबों की एहमीयत अपनी जगह जनाब,
सबको याद वही रहता है,
जो वक्त और लोग सिखाते है

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